Saturday 8 May 2021

चुनावी जीत और हार की जंग, कोरोना बनेगा दबंग

अक्सर 'हार' इंसान को इस हद्द तक पागल बना देती है कि वो सही और गलत के बीच का फर्क ही भूल जाता है। वो सही को गलत साबित करने के लिए कई रड़नीतिया बनाएगा और अगर वो उसमें भी नही जीत सका तो फिर अपने ही घरों में आग लगा कर ग़लत को सही और सही को गलत साबित कर सकता है। ऐसे में अब हर कोई उस शख्स पर अफसोस करेगा और ये मानने पर मजबूर ही हो जाएगा कि जो गलत है असल मे वही सही है और जो सही है उस पर हज़ार उंगलिया उठ कर सवाल करने लग जाती है कि आखिर कोई इंसान जीतने के लिए उस बेचारे का घर जला सकती है उस पर जुल्म कर जो हार चुका है। लेकिन लोग ये समझने की कोशिश नहीं करते कि जिस इंसान ने जीत हासिल की है असल मे वो उसकी जीत है ही नही उसकी जीत तो तब होगी जब उसके कामों की लोगों द्वारा सरहाना की जाएगी। और जब अभी वो मैदान में उतरा ही नही तो उसने लोगों का दिल ही नहीं जीता तो भला वो क्यों उस हारे हुए इंसान के साथ जुल्म करेगा जिसने अभी तक जीत को सही मायने में हासिल ही ना किया हो। कुछ ऐसा ही दिखता नज़र आ रहा है बंगाल चुनाव की जीत और उसके बाद की गई हिंसा जहां कुछ लोगों का कहना है कि ममता बनर्जी के आते ही हिंदुत्व को निशाना बनाया गया है। हालांकि इस बात का इल्म किसी को भी नही है कि इस हिंसा का असली दोषी कौन है। इसके बावजूद लोग एक दूसरे को इस हिंसा का ज़िम्मेदार ठहरा रहें हैं। जहां पूरा देश में कोरोना महामारी फैली हुई है लोगों की जानों का कोई भरोसा नहीं वहां भी लोग एक दूसरे को मारने काटने, हिन्दू-मुसलमान करने में लगे हुए हैं। हमें ज़रूरत है ऐसे हालात में सबको एकजुट होने की ना की किसी पर तोहमतें से बौछार की जाए। हमें ज़रूरत है एक दूसरे के साथ कि ताकि मिलकर इस बीमारी से लड़ सके और उन लोगों को मुंह तोड़ जवाब दे सके जो हिन्दू -मुस्लिम के नाम पर हमें लड़ाते हैं और खुद गद्दी पर बैठ कर राज करते है। बस बहुत हुआ अब बरसों से चली आ रही है इस चुनावी मुद्दे को ख़त्म करके हमें एक ऐसा देश बनाना है जहां 'ना हिन्दू हो,ना मुस्लमान सिर्फ बस्ते हो इंसान'।  अगर अब भी हम इन नेताओं की बातों में आकर उनकी सुनते रहेंगे तो लोग यूँही मरते रहेंगे और इंसानियत ख़त्म हो जाएगी। हम लड़ना छोड़ देंगे वो हमें लड़ाना छोड़ देंगे फिर ऐसे मुद्दे पर ना तो ये नेता बात करेंगे ना ही फसाद होंगे। हमें ज़रूरत है तो शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार और इंसानियत की इसके लिए आवाज़ उठाइये और एकजुट होकर आपस में हाथ मिलाइये वरना इस महामारी में कोरोना दबंग बनकर सबके घरों को धीरे-धीरे निगल जाएगा और हम चुनावी हार-जीत को लेकर लड़ते रहेंगे।।